Monday, June 23, 2014

बलात्कारी मध्य प्रदेश

सरकारी आंकड़े तो यही बताते हैं कि देशभर में हो रहे बलात्कारों के अपराधों में मध्य प्रदेश अव्वल है। भले ही राजनीति के मुहल्ले में झूठ का भोंपू उप्र सरकार को बदनाम करने के लिए लगातार चीख रहा हो। सियासी झूठ के सुर में सुर मिलाकर ‘मीडिया’ भी भयादोहन के शातिराना खेल में शामिल दिखाई देता है। शायद यही वजह है कि नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के पिछले आठ साल के आंकड़ों को दरकिनार किया जा रहा है। इन आंकड़ों में 2004 से 2012 तक लगातार बलात्कार के अपराधों में मध्यप्रदेश नंबर एक पर दर्ज है। यहाँ बताते चलें कि मध्य प्रदेश में पिछले दस सालों से भाजपा सरकार राज कर रही है और मुख्यमंत्री है लड़कियों के ‘मामा’ के नाम से ख्यातिप्राप्त शिवराज सिंह चैहान।
    उप्र के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जून के पहले हफ्ते में अपनी प्रेसवार्ता के दौरान कहा था, ‘प्रदेश मंे कोई भी घटना होती है तो उसका प्रचार ज्यादा होता है। सभी प्रदेशों में घटनाएं होती हैं लेकिन उनका उतना प्रचार नहीं होता। जबकि बदायूं कांड में सरकार ने कड़ी कार्यवाही की। हर मामले में कड़ा कदम उठाया। उस समय पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने कहा था कि मुख्यमंत्री व सपा प्रमुख बचकानी बातें बंद करें। अखबार और टीवी भी कुछ इसी अंदाज में हलक फाड़ते रहे, जबकि बदायूं कांड के साथ ही राजस्थान में भी इसी तरह की वारदात घटी थी लेकिन उसे देश क्या समूचा राजस्थान भी नहीं जान पाया?
    नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरों के अनुसार साल 2004 में बलात्कार की घटनाएं मध्य प्रदेश में 2875 तो 2012 में बढ़कर 3425, वहीं 2004 में उप्र. में 1394, 2012 में 1963 हुईं। साल 2003 से लेकर 2007 तक बलात्कार मामलों में दूसरे नंबर पर बंगाल और तीसरे नंबर पर उप्र था। यही हालात कमोबेश आज भी हैं। 2012 में राजस्थान 2049 वारदातों के साथ दूसरे नंबर पर था, तो बंगाल 2046 के आंकड़े पर व उप्र 1963 वारदातों के साथ चैथे नंबर पर था। यही नहीं नाबलिंग बच्चियांे से दुष्कर्म के अपराधों में भी वर्ष 2012 में
मध्य प्रदेश 1632 घटनाओं के साथ पहले नंबर पर था, जबकि उप्र में 1040 घटनाऐं हीं थीं। गो कि पिछले आठ सालों के आंकड़े गवाह हैं मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार बलात्कार की घटनाओं को रोकने में नाकाम रही है। उसकी नाकामयाबी पर पर्दा डालने के अपराध का दोषी भाजपा के साथ-साथ मीडिया को भी नहीं माना जाना चाहिए? अच्छे दिन आने वाले हैं का नारा बुलंद करने वाले क्या मध्य प्रदेश की महिलाओं के बुरे दिनांे के लिए कुछ करेंगे?   और देशभर से बोले जा रहे झूठ पर माफी मांगेगे।