Monday, December 5, 2011

shradhanjali

..... तो खबर बन गये
संवेदना के लिए शब्दों की तलाश, खासकर किसी मित्र की मृत्यु के बाद दो शब्द लिखने के लिए शब्दों की तलाश करने में कई बार आंखों के आगे सब कुछ धुंधला जाता है। ऐसे धुंधल के में टी.वी. पत्रकार ए.के. वाॅट के निधन के समाचार की पट्टी टेलीविजन के पर्दे पर बार-बार आ रही थी। यह पट्टी फिल्म अभिनेता देव आनंद की मृत्यु के समाचार के साथ ही चल रही थी। कई बार देखने और गौर से पढ़ने के बाद खबर का सच सुन्नकर गया। इससे ठीक एक दिन पहले 3 दिसंबर को अपने साथी पत्रकार एम.ए. हफीज की मृत्यु का समाचार सुन चुका था।
    देव आनंद से वाॅट का याराना तो दूर कहीं कोई दुआ सलाम भी नहीं थी। फिर भी उसने आखिरी रास्ते के लिए देव आनंद को सहयात्री चुना? वह भी खबर बनकर! गो कि आखिरी खबर तक अपने पेशे के लिए ईमानदार रहे ए.के. वाॅट। खबर बनाने का मौका फिसला तो खबर बन गये।
    वाॅट भी देव साहब की तरह जिंदादिली से खबरों की दुनिया में छाये रहे। वे दूरदर्शन से रिटायर हो गए थे, फिर भी संविदा पर काम करते रहे, खबरें बटोरते रहे और प्रसारित कराते रहे। उनके मन में एक अच्छा अखबार निकालने की योजना खदबदा रही थी। वे जब भी मिलते तो ‘प्रियंका’ देखकर कहते, ‘यार तू कैसे इसे निकाल ले रहा है? मैं भी आता हूँ एक दिन तेरे साथ बैठता हूँ, मुझे बताना क्या गुर है।’ लेकिन वह अखबार निकालने के गुर जानने कभी नहीं आया और अब तो वह खुदाई करिनूमों की रिपोर्टिग पर .....! परमात्मा से साक्षात्मकार के बाद जाने कब खाली होगा। खाली होगा भी कि नहीं....! मित्र अगली मुलाकात तक के लिए प्रणाम!









शोकसभा हुई
लखनऊ। वरिष्ठ पत्रकार ए.के. वाॅट का हृदयगति रूक जाने से रविवार, 4 दिसंबर, 2011 को उनके आवास पर व एम.ए. हफीज का लंबी बीमारी से शनिवार की सुबह हृदयगति रूक जाने के बाद सिविल अस्पताल में निधन हो गया। दोनों पत्रकारांे ने अपने जीवन में खबरां की निष्पक्षता व सत्य का साथ कभी नहीं छोड़ा।
    ‘प्रियंका’ हिन्दी पाक्षिक कार्यालय में दोनों पत्रकारों को श्रद्धांजलि देने के लिए शोकसभा हुई।